अंधेरे के रहस्य

 ### **अंधेरे के रहस्य


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रात गहरी और सन्नाटे में डूबी हुई थी, और हर कोई अपने-अपने घरों में बंद था। छोटे से कस्बे 'कृष्णापुर' में अक्सर लोग जल्दी सो जाते थे, लेकिन एक घर था जो हमेशा ही अजीब सा दिखता था—पुराना, धूल से भरा, और कई सालों से बंद पड़ा हुआ। लोग उस घर के पास भी जाने से डरते थे। कहते हैं, उस घर में कोई बुरी आत्मा रहती है। लेकिन हर रहस्य के पीछे एक सच्चाई छिपी होती है, और इस रहस्य को जानने के लिए कोई साहसी चाहिए था।


#### **कहानी की शुरुआत**


विनय नाम का एक 14 वर्षीय लड़का था जो अपने दोस्तों से अलग था। वह हमेशा गहरी सोच में डूबा रहता था, और उसकी आंखों में एक अनकहा दर्द झलकता था। लोग उसे एक अजीब लड़का मानते थे। वह न तो ज्यादा बोलता था और न ही किसी के साथ ज्यादा वक्त बिताता था। विनय का परिवार भी उसे समझ नहीं पाता था, खासकर उसकी मां। उसे हमेशा लगता था कि विनय कुछ छुपा रहा है।


विनय के अंदर एक रहस्यमय आकर्षण था, खासकर उस पुराने घर के प्रति। जब भी वह उस घर के पास से गुजरता, उसे अजीब सी आवाजें सुनाई देतीं—जैसे कोई उसे बुला रहा हो। वह आवाजें बाकी लोगों को सुनाई नहीं देती थीं, सिर्फ विनय को। विनय इस बात को लेकर उलझन में था, लेकिन उसके अंदर का जिज्ञासु मन उसे उस घर के करीब खींच ले जाता था। 


#### **पुराने घर का राज**


एक रात, जब पूरा कस्बा सो रहा था, विनय ने तय किया कि वह उस घर के अंदर जाएगा। वह जानना चाहता था कि आखिर वहां ऐसा क्या है जो उसे बार-बार अपनी ओर खींचता है। उसने अपने कमरे से टॉर्च उठाई और बिना किसी को बताए घर से बाहर निकल पड़ा। रात के सन्नाटे में उसकी हर कदम की आहट जैसे तेज़ होती जा रही थी। 


विनय उस पुराने घर के सामने पहुंचा। घर का गेट जंग खा चुका था, लेकिन अजीब बात यह थी कि वह खुला हुआ था। ऐसा लगा जैसे कोई पहले से ही उसके आने का इंतजार कर रहा हो। उसने गहरी सांस ली और घर के अंदर चला गया। 


घर के अंदर का माहौल ठंडा और अजीब था। धूल के मोटे परत हर जगह जमी हुई थी, और हवा में एक सड़ी हुई गंध तैर रही थी। लेकिन विनय को कोई डर महसूस नहीं हुआ। उसे महसूस हो रहा था कि वह सही जगह पर है, जैसे उसे यहां आना ही था। 


#### **पहला संकेत**


घर के अंदर कदम रखते ही उसे अजीब से चित्र और नक्शे दिखाई दिए, जो दीवारों पर उकेरे हुए थे। कुछ चित्रों में चेहरों को अजीब रूप में दिखाया गया था, और कुछ में आंखें इतनी डरावनी थीं कि उन्हें देखकर ही ठंड लग जाती थी। लेकिन विनय ने उन चेहरों में कुछ पहचानने की कोशिश की। 


घर के अंदर गहराई में जाते ही विनय को एक बंद दरवाजा दिखाई दिया। उस दरवाजे पर कुछ अजीब से निशान थे, जैसे किसी ने जानबूझकर उसे वहां उकेरा हो। विनय ने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा भारी था। उसने पूरी ताकत लगाकर दरवाजा खोला और जैसे ही दरवाजा खुला, एक ठंडी हवा का झोंका आया। उसके बाद एक अजीब सी आवाज ने उसका ध्यान खींचा—एक धीमी सी फुसफुसाहट, जैसे कोई उससे बात कर रहा हो। 


विनय दरवाजे के अंदर गया, और उसे वहां एक पुरानी डायरियों का ढेर दिखाई दिया। उनमें से एक डायरियों का रंग खून जैसा लाल था। उसे उठाकर जब विनय ने पढ़ना शुरू किया, तो उसे कुछ ऐसे रहस्यों का पता चला, जो उसकी कल्पना से परे थे।


#### **डायरी की कहानी**


डायरी में एक आदमी का जिक्र था—नाम था राजन, जो इस घर में रहता था। राजन एक मानसिक रोग से ग्रसित था और अक्सर रातों में अजीब हरकतें करता था। लेकिन उसकी पत्नी और बच्चे को इस बारे में कुछ पता नहीं था। एक रात, राजन ने अपने परिवार के साथ कुछ ऐसा किया, जिसे सुनकर विनय की रूह कांप गई। 


डायरी के अनुसार, राजन का मनोविकृति उस हद तक पहुंच गई थी कि उसने अपने पूरे परिवार को मार डाला था। उसे विश्वास था कि उसके घर में एक आत्मा रहती है, जो उससे ये सब करवा रही है। राजन ने खुद को निर्दोष बताया था और कहा था कि वह बस उस आत्मा के आदेश का पालन कर रहा था। 


डायरी का आखिरी पन्ना अधूरा था, जैसे किसी ने उसे लिखते-लिखते अचानक छोड़ दिया हो। विनय के मन में डर और जिज्ञासा दोनों एक साथ उमड़ पड़े। 


#### **सच्चाई का सामना**


डायरी पढ़ने के बाद विनय का मन विचलित हो गया। उसे ऐसा लगने लगा कि वह भी राजन की तरह धीरे-धीरे पागल हो रहा है। उसे महसूस हुआ कि वह अकेला नहीं है, बल्कि उसके आसपास कुछ अजीब शक्तियां हैं जो उसे अपनी ओर खींच रही हैं। 


घर के अंदर और गहराई में जाते हुए विनय को हर कदम पर डरावने संकेत मिल रहे थे। दीवारों पर खून के धब्बे, टूटे हुए फर्नीचर, और बिखरे हुए खिलौने, जैसे कोई बच्चा कभी यहां खेला करता हो। विनय का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। 


अचानक उसे ऐसा महसूस हुआ कि उसके पीछे कोई है। उसने मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। फिर से वही फुसफुसाहटें सुनाई देने लगीं। इस बार आवाज और करीब थी। 


विनय ने महसूस किया कि वह मानसिक रूप से कमजोर हो रहा है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह जो महसूस कर रहा है, वह वास्तविक है या उसकी कल्पना। 


#### **मनोवैज्ञानिक दबाव**


विनय के मन में धीरे-धीरे अंधकार पसरने लगा। उसे ऐसा लगने लगा कि वह भी उसी तरह पागल हो रहा है जैसे राजन हुआ था। उसे लगातार आवाजें सुनाई देतीं, और वह खुद से बातें करने लगा। उसने महसूस किया कि वह जिस मानसिक हालत में है, वह सामान्य नहीं है। 


कई दिनों तक विनय घर नहीं गया। वह उसी पुराने घर में बंद रहा, जहां उसे समय का कोई अंदाजा नहीं था। उसके माता-पिता चिंतित हो गए थे, लेकिन वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर विनय के साथ क्या हो रहा है। 


#### **अंतिम मुठभेड़**


एक रात, जब चांदनी बहुत धुंधली थी और हवा में अजीब सा सन्नाटा था, विनय को घर के अंदर कुछ चमकती हुई रोशनी दिखाई दी। वह उस रोशनी की तरफ बढ़ा और देखा कि घर के एक कमरे में एक बड़ा आइना रखा था। उस आइने में उसे खुद का अक्स दिखाई दिया, लेकिन वह अक्स वैसा नहीं था जैसा विनय ने सोचा था। 


आइने में दिख रहे चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी, और आंखों में डरावनी चमक। विनय को समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। 


आइने में उस चेहरे ने कहा, "तुम्हें आखिरकार सच्चाई का पता चल ही गया। अब तुम मेरे जैसे बन चुके हो।"


विनय को समझ नहीं आया कि वह क्या करे। उसे महसूस हुआ कि उसका मन अब उसके नियंत्रण में नहीं रहा। आइने में जो चेहरा था, वह धीरे-धीरे विनय के असली चेहरे में बदलता जा रहा था। 


वह अब उस अंधेरे का हिस्सा बन चुका था, और उस घर की आत्माएं अब उसके साथ थीं। 


#### **अंधकार का अंत**


विनय ने अंततः खुद को उस रहस्य में खो दिया, जो उस पुराने घर के साथ जुड़ा था। वह अब सामान्य नहीं था, बल्कि उस मानसिक भ्रम और अंधेरे का हिस्सा बन चुका था। 


उस घर की कहानी अब विनय की कहानी बन गई थी। अब वह भी उसी घर का एक हिस्सा था, जहां अंधकार और मानसिक विकृति के अलावा कुछ नहीं था।andhere

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